The Single Best Strategy To Use For hanuman chalisa
The Single Best Strategy To Use For hanuman chalisa
Blog Article
[RamDoota=Lord Ram messenger; atulita=measured; atilita=immeasurable; bala=electrical power; dhama=abode; Anjani=of Anjana; putra=son; pavana=wind; suta=son; naama=identify]
हनुमान चालीसा लिरिक्स
कर्म के साथ भावनाओं का भी महत्व है - प्रेरक कहानी
अञ्जनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥ महाबीर बिक्रम बजरङ्गी ।
Inside your palms, glow a mace and a flag of righteousness. A sacred thread adorns Your proper shoulder.
Janama janamaJanama janamaBirth immediately after birth keKeOf dukhaDukhaUnhappiness / soreness bisarāvaiBisarāvaiRemove / remaining at the rear of Which means: By singing your praise, one particular finds Lord Rama and escapes from suffering/unhappiness in a great number of life.
Your browser isn’t supported any more. Update it to find the best YouTube encounter and our newest functions. Learn more
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया - भजन
NāsaiNāsaiEnd / ruin / cured rogaRogaDisease haraiHaraiEnd / near / eradicated sabaSabaAll pīrāPīrāPains / ailments / afflictions / struggling
महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥ नासै रोग हरै सब पीरा ।
व्याख्या – श्री हनुमान जी से अष्टसिद्धि और नवनिधि के अतिरिक्त मोक्ष या भक्ति भी प्राप्त की जा सकती है। इस कारण इस मानव जीवन की अल्पायु में बहुत जगह न भटकने की बात कही गयी है। ऐसा दिशा–निर्देश किया गया है जहाँ से चारों पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) प्राप्त किये जा सकते get more info हैं।
सियराम–सरूपु अगाध अनूप बिलोचन–मीननको जलु है।
यहाँ हनुमान जी के स्वरूप की तुलना सागर से की गयी। सागर की दो विशेषताएँ हैं – एक तो सागर से भण्डार का तात्पर्य है और दूसरा सभी वस्तुओं की उसमें परिसमाप्ति होती है। श्री हनुमन्तलाल जी भी ज्ञान के भण्डार हैं और इनमें समस्त गुण समाहित हैं। किसी विशिष्ट व्यक्ति का ही जय–जयकार किया जाता है। श्री हनुमान जी ज्ञानियों में अग्रगण्य, सकल गुणों के निधान तथा तीनों लोकों को प्रकाशित करने वाले हैं, अतः यहाँ उनका जय–जयकार किया गया है।
व्याख्या – श्री हनुमान जी महाराज की शरण लेने पर सभी प्रकार के दैहिक, दैविक, भौतिक भय समाप्त हो जाते हैं तथा तीनों प्रकार के आधिदैविक, आधिभौतिक एवं आध्यात्मिक सुख सुलभ हो जाते हैं।